अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द होने पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही अखिलेश ने न्यायपालिका पर भी सवाल उठा दिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष के लोगों के खिलाफ न्यायपालिका कार्रवाई नहीं कर रही है.
अखिलेश यादव ने जजों पर लगाए गंभीर आरोप, सरकार से 'गठजोड़' तक का आरोप लगाया
अखिलेश ने न्यायपालिका पर सरकार से गठजोड़ का आरोप मढ़ दिया. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अदालतों में जजों की नियुक्ति सरकार द्वारा कराई जा रही है, ताकि सरकार अपने मन मुताबिक फैसले दिलवा सके.

शुक्रवार 6 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश से अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द होने पर सवाल पूछा गया था. सवाल सुनते ही अखिलेश ने सरकार पर सीधा निशाना साधा और कहा,
'अब्बास अंसारी की सदस्यता जानबूझकर रद्द की गई है. सरकार ने अब्बास अंसारी की सदस्यता रद्द की है. अगर इन्हीं बयानों की वजह से किसी की सदस्यता ली जा सकती है तो इनकी सरकार में बैठे लोग क्या-क्या बोल रहे हैं. क्या मेरा DNA याद दिलाएंगे ये लोग? क्या समाजवादियों का DNA पूछेंगे? जितनों ने DNA की बात की उनकी सदस्यता क्यों नहीं लेते जज लोग? जो लोग DNA पूछ रहे हैं उनकी सदस्यता क्यों नहीं जा रही है?'
इसके बाद अखिलेश ने न्यायपालिका पर सरकार से गठजोड़ का आरोप मढ़ दिया. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अदालतों में जजों की नियुक्ति सरकार द्वारा कराई जा रही है, ताकि सरकार अपने मन मुताबिक फैसले दिलवा सके.
अखिलेश ने यह आरोप भी लगाया कि फैसले जाति के आधार पर हो रहे हैं. पूर्व सीएम ने कहा,
'कभी-कभी फैसला कराने के लिए कुछ लोगों को पोस्ट कर के भेजा जा रहा है. तभी हम लोग पहले दिन से कह रहे हैं कि संविधान को खतरा है. और केवल समाजवादियों की सदस्यता जा रही है. जो भारतीय जनता पार्टी के लोग बयान दे रहे हैं उनकी सदस्यता कभी नहीं जाएगी क्या?'
दरअसल गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के विधायक बेटे अब्बास अंसारी पर हेट स्पीच का मुकदमा चल रहा था. अब्बास सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से विधायक थे. उन्हें 2022 के एक बयान पर बीती 31 मई को 2 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
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